وید پرکاش اپادھیائے
سنسکرت مہاماہوپادھیائے[1][2][3] راشٹرپتی سمانیت[4] آچاریہ[4] شاسترچوڈامانی۔[4] |
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وید پرکاش اپادھیائے | |
معلومات شخصیت | |
پیدائش | الہ آباد، اتر پردیش |
7 فروری 1947
قومیت | Indian |
عملی زندگی | |
پیشہ | Sanskrit Scholar, Author, Lecturer, Emeritus Professor (Punjab University),[5] Educator and scholar on Hinduism |
وجہ شہرت | کالکی اوتار اور محمد صاحب (کتاب) |
اعزازات | |
President award of India 2018, Sanskrit Sahityalangkar Award from Haryana Sanskrit Academy | |
درستی - ترمیم |
وید پرکاش اپادھیائے یا وید پرکاش اپادھیائے (پیدائش 1947) ایک ہندوستانی سنسکرت اور ہندو مت اسکالر، مصنف، لیکچرر، پروفیسر، ماہر تعلیم اور سماجی کارکن ہیں۔
[6] وہ سنسکرت ادب اور ہندو ازم پر بہت سی کتابوں کے مصنف ہیں۔[6] وہ زیادہ تر اپنے کام کالکی اوتار اور محمد صاحب کے لیے جانا جاتا ہے۔ [7],انھیں 2018 میں صدر ہند ایوارڈ سمیت ان کی شراکت کے لیے بہت سے قومی اور بین الاقوامی اعزازات ملے۔ [6][8]
ابتدائی زندگی
[ترمیم]وید پرکاش اپادھیائے 2 فروری 1947 کو الہ آباد، اترپردیش میں پیدا ہوئے۔ [6]ان کے والد سریوپرین ویدک اسکالر پنڈت شری رام جیون اپادھیائے تھے۔ [6][9]
تعلیم
[ترمیم]اپادھیائے سنسکرت ویدوں میں ڈی فل اور دھرم شاستر ہندو قانون، وید، فلسفہ، دینیات، ادب، تنتر، انصاف اور سزا وغیرہ میں ڈی لِٹ کے اسکالر ہیں۔ [6]
کیریئر
[ترمیم]انھوں نے پنجاب یونیورسٹی، چندی گڑھ میں 40 سال تک خدمات انجام دیں اور سنسکرت شعبہ کے پروفیسر اور سربراہ کے طور پر ریٹائر ہوئے۔[6][8] ان کے شاندار تحقیقی کام سے متاثر ہو کر انھیں کئی قومی اور بین الاقوامی اداروں نے قومی اور بین الاقوامی سطح پر اعزازات اور انعامات سے نوازا۔ [6][8]اس کے علاوہ انھوں نے 100 سے زیادہ سنسکرت کلاسیکی کانفرنسوں میں حصہ لیا، 26 بین الاقوامی کانفرنسوں اور تحقیقی سیمیناروں کی صدارت کی، 100 تحقیقی مقالے شائع کیے اور ان کی ہدایت پر 70 تحقیقی طلبہ نے ایم فل کیا۔ اور 60 پی ایچ ڈی کر چکے ہیں۔[8][10][11] انھوں نے کئی بار ریڈیو ٹاک بھی دیے جن کا مقصد سنسکرت کو آفاقی بنانا رہا ہے۔ ہریانہ سنسکرت اکیڈمی ہریانہ حکومت کی کئی اہم کمیٹیوں کے رکن کے طور پر،[12]اپادھیائے ایک فعال شراکت دار رہے ہیں اور ہری پربھا ریسرچ میگزین میں مشیر کے طور پر کام کر رہے ہیں۔ وہ گروکل مانسا دیوی کمپلیکس کے متولی کی حیثیت سے ذمہ داری نبھا رہے ہیں۔[6]
==ایوارڈز اور وصولیاں ==ان کامیابیوں کی بنیاد پر انھیں 8 گولڈ میڈل اور 33 اعزازات بھی ملے۔ سنسکرت کے تئیں ان کی عقیدت، شراکت، تشہیر اور پھیلاؤ سے متاثر ہو کر، دوردرشن نے ان کی اہم شراکت کے لیے 22 مارچ 2012 کو ایک گھنٹے کا خصوصی پروگرام بھی نشر کیا۔ [6] انسانی وسائل کے وزیر مملکت مہیندر ناتھ پانڈے نے کاشی ودوت پریشد میں ودھوشن ایوارڈ اور بین الاقوامی انسانی حقوق کے تحفظ بیورو کی جانب سے فجی کے سفیر پربھاکر جھا کو مانودھیکر رتن ایوارڈ سے نوازا۔< [6]2017 میں، انھیں ہریانہ سنسکرت اکیڈمی سے سنسکرت ساہتیہ الینگکر ایوارڈ ملا۔[13]2017 میں، انھیں پنجابی زبان کے محکمے سے ساہتیہ رتن پڈک ملا۔[14]اور 2019 میں انھیں سنسکرت زبان میں ان کے تعاون کے لیے ہندوستان کا 2018 کا صدر ایوارڈ ملا۔[8][6][15]
کتابیات
[ترمیم]اپادھیائے نے 15 تحقیقی اور اصل کتابیں شائع کیں۔[6][8] ان میں سے کچھ ہیں۔:
- कल्कि अवतार और मुहम्मद साहब (کالکی اوتار اور محمد صاحب)[7] (1970)
- नरशंस और अंतिम ऋषि (انسان اور آخری بابا کی تعریف کی۔ )[16]
- हिन्दू विधि एवं स्त्रोत (ہندو قانون اور سوتر), International Law Agency, Allahabad, 1986[17]
- हिंदी साहित्य का इतिहास, काव्यशास्त्र एवं लिपि (History of Hindi Literature, Poetry and Script), Vishwavidyalaya Prakashan, Varanasi, 2014)[18]
- ان کے تحت ڈاکٹریٹ کا مقالہ
- Om Prakash Sharma, Savita in Vedic literature. Panjab, 1977-83. [19]
مزید دیکھیے
[ترمیم]حوالہ جات
[ترمیم]- ↑ "संस्कृत के विद्वान डॉ. वेदप्रकाश 24 जून को पहुंचेंगे पंचकूला, 60 से अधिक विद्यार्थियों को करवा चुके पीएचडी ( Sanskrit scholar Dr. Ved Prakash will reach Panchkula on June 24, PhD who has done more than 60 students)"۔ Punjab Kesari۔ 22 June 2022۔ اخذ شدہ بتاریخ 21 جولائی 2023۔
60 से ज्यादा विद्यार्थियों को पीएचडी करवा चुके संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय 24 जून को पंचकूला स्थित माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में पहुंचेंगे। यह जानकारी माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पंचकूला की प्राचार्या श्रीमती रीटा गुप्ता ने दी। प्रांगण में संस्कृत सम्भाषण शिविर चल रहा है, जिसका उद्घाटन आनन्द मोहन शरण जी के करकमलों द्वारा शुभारम्भ किया गया। यह आयोजन निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री, हरियाणा संस्कृत अकादमी के सौजन्य से सुचारू व्यवस्था में चल रहा है।
संस्कृत सम्भाषण शिविर के समापन कार्यक्रम में शामिल होंगे डॉ. वेदप्रकाश
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या रीटा गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम का समापन 24 जून को महाविद्यालय परिसर में होगा। इस कार्यक्रम में संस्कृत विद्वानों के साथ-साथ मुख्य अतिथि के रूप में 60 से ज्यादा विद्यार्थियों को पीएचडी करवा चुके संस्कृत के प्रकांड विद्वान डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय, हरियाणा सरकार द्वारा संस्कृत महामहोपाध्याय की मानद सर्वोच्च पदवी से विभूषित पहुंच कर सुशोभित करेंगें। प्रो० उपाध्याय जी को हाल ही में बुन्देलखण्ड झांसी में राष्ट्रीय शिक्षा गौरव सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
प्राचार्य ने कहा कि संस्कृत संवादशाला का मुख्य उद्देश्य संस्कृत भाषा को जनभाषा बनाना है। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय से डॉ. रेणुका ध्यानी व डॉ. राजबीर कौशिक संयोजक के रुप में कार्यभार सम्भाल रहे हैं। दुरदराज के क्षेत्रों से आने वाले शिक्षार्थियों को मनसा देवी मन्दिर में स्थित राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में निरन्तर विशारद, शास्त्री, ज्योतिष डिप्लोमा, और कर्मकाण्ड का डिप्लोमा करवाया जाता है। इन विद्यार्थियों को प्राच्य विद्याओं के साथ-2 आधुनिक विषय भी पढ़ाये जाते हैं, जैसे अर्धशास्त्र, अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, हिन्दी, शारीरिक शिक्षा आदि।उत्तर- भारत में संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए इस महाविद्यालय की छवि उज्ज्वल भविष्यात्मक पथ पर दृश्यमान हैं। (Sanskrit scholar Dr. Vedprakash Upadhyay, who has got more than 60 students doing PhD, will reach Mata Mansa Devi Government Sanskrit College, Panchkula on June 24. This information was given by Mrs. Rita Gupta, Principal of Mata Mansa Devi Government Sanskrit College, Panchkula. Sanskrit speaking camp is going on in the premises, which was inaugurated by Anand Mohan Sharan ji's Karkamals. This event is going on smoothly with the courtesy of Director Dr. Dinesh Shastri, Haryana Sanskrit Academy.
Dr. Vedprakash will participate in the concluding program of the Sanskrit speaking camp
On this occasion, Principal of the college Rita Gupta said that the program will conclude on June 24 in the college campus. Dr. Vedprakash Upadhyay, a great scholar of Sanskrit, who has got more than 60 students doing Ph.D., will beautify by reaching the honorary highest title of Sanskrit Mahamahopadhyay by the Haryana Government. Prof. Upadhyay ji has recently been honored with National Education Gaurav Samman in Bundelkhand Jhansi.
The Principal said that the main objective of Sanskrit Samvadshala is to make Sanskrit language the language of the people. In this program, Dr. Renuka Dhyani and Dr. Rajbir Kaushik from the college are taking charge as coordinators. Learners coming from remote areas are continuously given Visharad, Shastri, Jyotish Diploma, and Karmkand Diploma in the Government Sanskrit College located in Mansa Devi Temple. Along with oriental studies, modern subjects are also taught to these students, such as Semiology, English, Political Science, Hindi, Physical Education etc. The image of this college is visible on a bright future path for the upliftment of Sanskrit language in North India. .) - ↑ "@shrivarakhedi, Hon'ble VC, CSU congrats dr. Ved Prakash Upadhyay on achieving Sanskrit - Mahamahopadhyay (27-05-2022, Prayagraj) and First and Highest Award of Haryana Government (2022)."۔ Twitter (بزبان انگریزی)۔ Central Sanskrit University twitter page۔ 28 May 2022۔ اخذ شدہ بتاریخ 02 اگست 2023۔
संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान
(वर्ष-2017)
महामहिम राष्ट्रपति सम्मान एवं पुरस्कार से अलंकृत प्रो. वेदप्रकाश उपाध्याय का जन्म ग्राम ब्रह्मपुर, जनपद कौशाम्बी, प्रयागराज, उत्तर-प्रदेश में 07 फरवरी, 1947 ई. में हुआ था। आपके पिताजी पं. राम संजीवन उपाध्याय वेद, ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के प्रकाण्ड विद्वान थे। आपने एम.ए. (संस्कृत, हिन्दी) डी. फिल्. डी.लिट्. जर्मन आदि विदेशी भाषाओं का डिप्लोमा तथा आचार्य (वेद, दर्शन और धर्मशास्त्र आदि) की उपाधियाँ प्राप्त की हैं।
आपको भारत और विदेशों से 8 स्वर्णपदक 38 सम्मान और पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है। पञ्जाब विश्वविद्यालय में आपको 40 वर्षों के स्नातकोत्तर शिक्षण और अनुसन्धान का अनुभव है। आपके 20 ग्रन्थ प्रकाशित हैं। आपने वेद, वास्तुशास्त्र, धर्मशास्त्र और संस्कृत के प्रचार प्रसारार्थ भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैण्ड, तंजानिया और नेपाल आदि देशों में विशिष्ट योगदान दिया है।
वर्ष 1995 में वेद वेदाङ्ग के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए प्रो. उपाध्याय जी को गुरुगंगेश्वर वेद
वेदांग राष्ट्रीय पुरस्कार नासिक महाराष्ट्र से प्राप्त हुआ। नेपाल से ज्योतिष दिग्विजयी अवार्ड, श्रीलंका से विश्वज्योति चक्रवर्ती महर्षि सम्मान, यू. एस. ए. ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी एचीवमेन्ट अवार्ड, बांग्लादेश से द प्लेक ऑफ रेस्पैक्ट, केरल से रजत मुकुट और ब्रह्मर्षि की उपाधि, चण्डीगढ़ साहित्य अकादमी का सम्मान. हिमाचल प्रदेश का हिमोत्कर्ष सम्मान आदि उल्लेखनीय हैं।
संस्कृत के सर्वोच्च और लोकप्रिय साहित्य-सृजन के लिए हरियाणा संस्कृत अकादमी प्रो. वेदप्रकाश उपाध्याय को संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान से अलंकृत कर गौरव का अनुभव करती है।
सम्पर्क - म.नं.-1573. सैक्टर-49 बी. पुष्पक कम्पलैक्स, चण्डीगढ़ - 160047
दूरभाष- 9915746560 (sanskrit literature award
(Year-2017)
Honored with President's Honor and Award, Prof. Ved Prakash Upadhyay was born on February 07, 1947 in village Brahmapur, district Kaushambi, Prayagraj, Uttar Pradesh. Your father Pt. Ram Sanjeevan Upadhyay was a great scholar of Vedas, astrology and rituals. You have done M.A. (Sanskrit, Hindi) D. Phil. D.Litt Diploma in foreign languages like German etc. and degrees of Acharya (Veda, Philosophy and Dharmashastra etc.) have been obtained.
You have been decorated with 8 gold medals 38 honors and awards from India and abroad. He has 40 years of post graduate teaching and research experience in Panjab University. You have 20 books published. You have made a special contribution in the promotion of Vedas, Vastu Shastra, Dharmashastra and Sanskrit in countries like India, Sri Lanka, Bangladesh, Thailand, Tanzania and Nepal.
In the year 1995, for the important contribution in the field of Ved Vedang, Prof. Gurugangeshwar Veda to Upadhyay ji
Vedang National Award received from Nashik Maharashtra. Jyotish Digvijay Award from Nepal, Vishwajyoti Chakraborty Maharishi Samman from Sri Lanka, U.K. S. A. Twenty First Century Achievement Award, The Plaque of Respect from Bangladesh, Silver Crown from Kerala and the title of Brahmarshi, Honor of Chandigarh Sahitya Akademi. Himachal Pradesh's Himotkarsh Samman etc. are noteworthy.
Haryana Sanskrit Academy Prof. for the creation of the highest and popular Sanskrit literature. Ved Prakash Upadhyay feels proud by being decorated with Sanskrit literature.
Contact - M.No.-1573. Sector-49 B. Pushpak Complex, Chandigarh - 160047
Tel- 9915746560) - ↑ Pt Gopal Sharma & Dr Sewaram Jaipuria (6 May 2023)۔ The Wonders of Loshu-Grid (بزبان انگریزی)۔ X-30, Okhla Industrial Area, Phase-II New Delhi-110020: Diamond Pocket Books Pvt Ltd۔ صفحہ: Preface۔ ISBN 978-93-5684-641-8۔ اخذ شدہ بتاریخ 05 اگست 2023۔
Preface:
Man is too insignificant before the gigantic creation. He finds himself surrounded by a world, which is too difficult to comprehend with his tiny intelligence. However, everybody's presence in this world has a definite purpose and his knowledge provides him direction for achieving this goal.
Although, this Ancient Science had been described in great detail by the past masters, but majority of the present generation does not have the knowledge about its fundamentals.
The world renowned Vaastu Consultant Pt. Gopal Sharma and the celebrity astrologer Dr. Sewa Ram Jaipura have done a great job in giving clear insight to the common man, for understanding and applying various Vedic sciences. Their commendable consistent efforts for last many decades has resulted in the publication of numerous best selling books in Astrology, Numerology, Feng Shui, Vaastu Shastra, Pyramidology & Gem Therapy.
In the same series, this book on Loshu Grid, presents the ancient knowledge in a simple, practical and scientific manner. It is the finest tool to explain and teach you the following:
Draw a Loshu Chart and interpret it accurately.
- Discover future trends in your life, by looking at your personal years
Know your compatibility with other people, using an easy to use technique.
Find easy to use solution for numbers, missing in your date
of birth. - Determine, whether you have an arrow of strength or
weakness in your chart and ways to deal with it.
Time dimension theory revolves around numbers and reflects the basic fundamentals of Lo-shu Grid and Trigrams. The main tool in the formulation and understanding of this theory is the original Lo-Shu Square. In this square, the numbers One to Nine are arranged around the Nine Squares of the Lo-Shu Grid in such a way that any three numbers add up to fifteen in any direction whether calculated horizontally, vertically or diagonally. The number 15 express the number of days it takes for a moon's full waxing or waning cycle. The numbers also have meanings in accordance to the corresponding trigram.
The given trigrams of Kan, Kun, Chen, Sun, Chien, Tui, Ken, Li are readily used to energize the various life aspirations, according to Lo-Shu grid. The interpretation and meanings of thenumerals and combination of numerals are alsoamazing.
I would like to sincerely appreciate the hardwork done by the learned Authors, who have dedicated their lives in spreading the hidden knowledge of various ancient holistic sciences, to the society.
Mahamahopadhyaya Dr. Ved Prakash Upadhyaya M.A, LL.B, D.Phil, D. Lit
Professor, Punjab University, Chandigarh - ^ ا ب پ
- ↑ Saṁskṛtavimarśaḥ (بزبان ہندی)۔ Rashtriya Sanskrit Sansthan۔ 2013۔ صفحہ: 151–161۔ اخذ شدہ بتاریخ 21 جولائی 2023۔
व्याकरणशास्त्र में पाणिनिपूर्व अनुक्त वैयाकरण: एक अनुशीलन - वेदप्रकाश उपाध्याय (Pre-Panini Unstated Grammar in Grammar: An Analysis - Vedprakash Upadhyay)
- ^ ا ب پ ت ٹ ث ج چ ح خ د ڈ ذ "डॉ. वेद प्रकाश उपाध्याय को राष्टऊपति सम्मान (Presidential Award to Dr. Ved Prakash Upadhyay)"۔ aggarjanpatrika.com۔ 9 April 2019۔ اخذ شدہ بتاریخ 10 اگست 2019۔
संस्कृत के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पंजाब विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर यूजीसी एमिरेटस डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय को 4 अप्रैल, 2019 को राष्टऊपति सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया।
प्रो. उपाध्याय का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद में प्रतिष्ठित सरयूपारीण वैदिक विद्वान् पं.श्रीरामजीवन उपाध्याय जी के घर में 7 फरवरी 1947 को हुआ। विश्वख्याति प्राप्त डा. उपाध्याय संस्कृत वेद में डी.फिल् एवं धर्मशास्त्र हिन्दू विधि विषय में डी. लिट्, वेद, दर्शन, धर्मशास्त्र, साहित्य, तन्त्र, न्याय एवं दण्डव्यवस्था आदि के मर्मज्ञ एवं उत्कृष्ट विद्वान् हैं। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय चण्ड़ीगढ़ में 40 वर्ष तक अपनी सेवाएँ दी और संस्कृत विभाग के प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। तदनन्तर श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली में शास्त्री, आचार्य एवं विशिष्टाचार्य की कक्षाओं में तीन वर्ष तक संस्कृत माध्यम से अध्यापन किया। आपको यूजीसी वरिष्ठ अध्येतावृत्ति, शास्त्रचूडामणि भी प्राप्त हुई। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा आप हिमाचल प्रदेश की आदर्श संस्कृत संस्था के अध्यक्ष बनाए गए। इनके वैदुष्यपूर्ण शोधकार्य से प्रभावित होकर अनेक राष्टऊीय और अन्तर्राष्टऊीय संस्थाओं द्वारा उन्हें राष्टऊीय और अन्तर्राष्टऊीय स्तर पर सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। इन्ही उपलब्धियों के आधार पर आठ स्वर्ण पदक और 33 सम्मान भी प्राप्त किए।
इसके अतिरिक्त 100 से अधिक संस्कृत के शास्त्रीय सम्मेलनों में इनकी सहभागिता रही, 26 अन्तर्राष्टऊीय सम्मेलनों एवं शोध संगोष्ठियों में अध्यक्षता की, उनके 15 शोधपरक एवं मौलिक ग्रन्थ तथा 100 शोधपत्र प्रकाशित हुए तथा इनके निर्देशन में 70 शोध छात्रों ने एम. फिल. व 60 ने पी.एच.डी. की उपाधि ग्रहण की। वर्तमान में ये अनेक समितियों के अध्यक्ष व सदस्य भी हैं। संस्कृत के प्रति इनकी निष्ठा, योगदान, प्रचार व प्रसार से अभिभूत होकर महनवपूर्ण योगदान के लिए दूरदर्शन ने 22 मार्च, 2012 को एक घण्टे का विशेष कार्यक्रम शख्सियत भी प्रसारित किया है। इन्होंने अनेक बार रेडियो टॉक भी दिए हैं, जिनका उद्देश्य संस्कृत को विश्वव्यापी बनाना रहा है। मानव संसाधन राज्यमंत्री सम्मानीय महेंद्र नाथ पांडेय द्वारा काशीविद्वत्परिषद् में विद्वद्भूषण अलंकरण से तथा अन्तर्राष्टिऊय मानवाधिकार संरक्षण ब्यूरो की ओर से फिजी के राजदूत डा. प्रभाकर झा के द्वारा उन्हें मानवाधिकार रत्न अलंकरण से सम्मानित किया गया।
हरियाणा संस्कृत अकादमी हरियाणा सरकार की अनेक महनवपूर्ण समितियों में सदस्य के रूप में प्रो. उपाध्याय जी का सक्रिय योगदान रहा है तथा हरिप्रभा शोधपत्रिका में सलाहकार के रूप में भी कार्य करते आ रहें हैं। गुरुकुल मनसादेवी परिसर के संरक्षक के रूप में दायित्व निभा रहे हैं। (Retired Professor Emeritus of Panjab University, Dr. Vedprakash Upadhyay from Panjab University was conferred with Rashtaupati Samman 2019 on April 4, 2019 for his distinguished contribution in the field of Sanskrit.
Pro. Upadhyay was born on 7 February 1947 in Allahabad district of Uttar Pradesh in the house of eminent Saryuparin Vedic scholar Pt.Shriramjeevan Upadhyay. World-renowned Dr. Upadhyay D.Phil in Sanskrit Veda and D.Litt in the subject of Dharmashastra Hindu Law, is a penetrating and excellent scholar of Vedas, philosophy, theology, literature, tantra, justice and punishment etc. He served for 40 years in Panjab University, Chandigarh and retired as Professor and Head of Sanskrit Department. After that he taught through Sanskrit medium for three years in the classes of Shastri, Acharya and Vishishtacharya at Shri Lal Bahadur Shastri National Sanskrit University, New Delhi. He also received the UGC Senior Fellowship, Shastrachudamani. human resource development ministry, You were made the President of Adarsh Sanskrit Sanstha of Himachal Pradesh by the Government of India. Impressed by his brilliant research work, he was honored and rewarded at the national and international level by many national and international institutions. On the basis of these achievements, eight gold medals and 33 honors were also received.
Apart from this, he participated in more than 100 Sanskrit classical conferences, presided over 26 international conferences and research seminars, published 15 research and original books and 100 research papers and under his direction, 70 research students did M.Phil. And 60 have done Ph.D. Took the title of At present, he is also the chairman and member of several committees. Overwhelmed by his devotion, contribution, publicity and dissemination towards Sanskrit, Doordarshan has also aired a one-hour special personality program on March 22, 2012 for his important contribution. He has also given radio talks several times, whose aim has been to make Sanskrit universal. Hon'ble Minister of State for Human Resources Mahendra Nath Pandey conferred scholarship award at Kashi Vidvat Parishad and Ambassador of Fiji Dr. on behalf of International Human Rights Protection Bureau.
Haryana Sanskrit Academy As a member of many important committees of Haryana Government, Prof. Upadhyay ji has been an active contributor and has been working as a consultant in Hariprabha research magazine. Gurukul is performing the responsibility as the custodian of the Mansadevi complex.) - ^ ا ب Ram Pal Srivastava۔ अवतारवाद - एक नई दृष्टि (بزبان ہندی)۔ Sankalp Publication۔ صفحہ: 192۔ ISBN 978-93-91173-57-9
- ^ ا ب پ ت ٹ ث "डॉ वेद प्रकाश उपाध्याय को मिलेगा राष्ट्रपति सम्मान-2018 (Dr. Ved Prakash Upadhyay will receive President's Award-2018)"۔ khaskhabar۔ 20 August 2018۔ اخذ شدہ بتاریخ 10 اگست 2019۔
हरियाणा के साहित्यिक क्षेत्र में एक और गौरवमयी अध्याय जुडऩे जा रहा है। हरियाणा एक्जीक्यूटिव कौंसिल-कम-स्टेंडिंग कमेटी के सदस्य डॉ. वेद प्रकाश उपाध्याय को राष्ट्रपति सम्मान-2018 से नवाजा जाएगा। राष्ट्रपति भवन द्वारा हाल ही में इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान हर वर्ष साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानों को दिया जाता है। विश्वख्याति प्राप्त डॉ. उपाध्याय संस्कृत वेद में डी.फिल् एवं धर्मशास्त्र हिन्दू विधि विषय में डी. लिट्, वेद, दर्शन, धर्मशास्त्र, साहित्य, तन्त्र, न्याय एवं दण्ड व्यवस्था आदि के मर्मज्ञ एवं उत्कृष्ट विद्वान् हैं। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ में 1970 से 2010 तक अपनी सेवाएं दी और संस्कृत विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। इनके वैदुष्यपूर्ण शोधकार्य से प्रभावित होकर अनेक राष्टï्रीय और अन्तर्राष्टï्रीय संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। इन्ही उपलब्धियों के आधार पर आठ स्वर्ण पदक भी प्राप्त किए।इसके अतिरिक्त 100 से अधिक संस्कृत के शास्त्रीय सम्मेलनों में इनकी सहभागिता रही, 26 अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों एवं शोध संगोष्ठियों में अध्यक्षता की, उनके 15 शोधपरक एवं मौलिक ग्रन्थ तथा 100 शोधपत्र प्रकाशित हुए तथा इनके निर्देशन में 70 शोध छात्रों ने एम. फिल. व 60 ने पी.एच.डी. की उपाधि ग्रहण की। वर्तमान में ये अनेक समितियों के अध्यक्ष व सदस्य भी हैं। (Another glorious chapter is going to be added in the literary field of Haryana. Haryana Executive Council-cum-Standing Committee member Dr. Ved Prakash Upadhyay will be awarded the President's Award-2018. A notification in this regard has recently been issued by Rashtrapati Bhavan. This honor is given by the President every year to the scholars who have done remarkable work in the field of literature. World-renowned Dr. Upadhyay D.Phil in Sanskrit Vedas and D.Litt in the subject of Dharmashastra Hindu law, is a penetrating and excellent scholar of Vedas, philosophy, theology, literature, tantra, justice and punishment system etc. He served in Panjab University Chandigarh from 1970 to 2010 and retired as Professor and Head of Sanskrit Department. Impressed by his brilliant research work, he was honored and rewarded by many national and international institutions. Eight gold medals were also received on the basis of these achievements. Apart from this, he participated in more than 100 Sanskrit classical conferences, presided over 26 international conferences and research seminars, published 15 research and original books and 100 research papers and directed them. 70 research students in M.Phil. And 60 have done Ph.D. Took the title of At present, he is also the chairman and member of several committees.)
- ↑ Bhawanilal Bhartiya (1991)۔ Ārya lekhaka kośa: Āryasamāja tathā r̥shi Dayānanda vishayaka lekhana se juṛe sahastrādhika lekhakoṃ ke jīvana evaṃ kāryavr̥tta kā vistr̥ta vivaraṇa (بزبان ہندی)۔ Dayānanda Adhyayana Saṃsthāna۔ اخذ شدہ بتاریخ 21 جولائی 2023
- ↑ "The Astrological Magazine" (بزبان انگریزی)۔ Raman Publications۔ 1996: 637۔ اخذ شدہ بتاریخ 05 اگست 2023۔
Dr. Ved Prakash Upadhyay, Punjab University, chaired the astrological session in which papers were read on different aspects of astrology. Astrologers from different parts of the country were honoured on the occasion. Dr.Ved. Prakash Upadhyay conferred certificates, diplomas, and...
- ↑ "ਹਰਿਆਣਾ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਅਕੈਡਮੀ 'ਚ ਸਮਾਗਮ (Event at Haryana Sanskrit Academy)"۔ Punjabi Tribune۔ Panchkula۔ 8 September 2015۔ اخذ شدہ بتاریخ 05 اگست 2023۔
‘ਸਮਾਜ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਭਾਸ਼ਾ ਦੀ ਅਹਿਮ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਭਾਸ਼ਾ ਨੇ ਅਹਿਮ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ਵੀ ਹੈ। ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਵੇਕ ਵਾਲੀ ਭਾਸ਼ਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਦਾ ਹਰ ਵਾਕ ਸਿੱਖਿਆਦਾਇਕ ਹੈ।' ਇਸ ਗੱਲ ਦਾ ਪ੍ਰਗਟਾਵਾ ਪੰਚਾਇਤ ਵਿਭਾਗ ਹਰਿਆਣਾ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸੰਸਦੀ ਸਕੱਤਰ ਬਖ਼ਸ਼ੀਸ਼ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤਾ ਜਿਹੜੇ ਇੱਥੇ ਪੰਚਕੂਲਾ ਦੇ ਸੈਕਟਰ 14 ਸਥਿਤ ਅਕੈਡਮੀ ਭਵਨ ਵਿੱਚ ਹਰਿਆਣਾ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਅਕੈਡਮੀ ਵੱਲੋਂ ਮਨਾਏ ਜਾ ਰਹੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਦਿਵਸ ਮੌਕੇ ਆਏ ਹੋਏ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਸ ਮੌਕੇ ਦੀਪ ਜਲਾ ਕੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਅਕੈਡਮੀ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਰਿਸ਼ੀਆਂ-ਮੁਨੀਆਂ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਸੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਸ ਮੌਕੇ ਯੋਗ ਬਾਰੇ ਵੀ ਵਿਚਾਰ ਪ੍ਰਗਟ ਕੀਤੇ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਸਾਰੀਆਂ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਦੀ ਜਣਨੀ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਸ ਮੌਕੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਅਕੈਡਮੀ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਕੰਮਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਸ਼ੰਸਾ ਵੀ ਕੀਤੀ। ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਅਤੇ ਪਸਾਰ ਲਈ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਕੰਮਾਂ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਵਿੱਚ ਜਿਕਰ ਕੀਤਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅਜਿਹਾ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਹੈੱਡ ਕੁਆਰਟਰ ਦੀ ਥਾਂ ਬਲਾਕ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਵੀ ਕੀਤਾ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਪਸ਼ਟ ਕੀਤਾ ਕਿ ਜਲਦੀ ਹੀ ਅਕੈਡਮੀ ਕਾਲਕਾ ਵਿੱਚ ਵੀ ਅਜਿਹਾ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਕਰਵਾਏਗੀ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰੋਫੈਸਰ ਵੇਦ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਉਪਾਧਿਆਏ ਨੇ ਸਮਾਰੋਹ ਦੀ ਪ੍ਰਧਾਨਗੀ ਕੀਤੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅੱਜ ਵੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਪੜ੍ਹਨ ਵਾਲੇ ਵਧੇਰੇ ਲੋਕ ਹਨ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਦੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਭਾਸ਼ਾ ਦੇ ਮਾਹਿਰਾਂ ਨੇ ਵੀ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਪ੍ਰਗਟ ਕੀਤੇ। ('Sanskrit language can play an important role in the construction of society and this language has also played an important role. Sanskrit language is the language of wisdom in which every sentence of Sanskrit is instructive.' This was expressed by Chief Parliamentary Secretary of Panchayat Department Haryana Bakhshish Singh who was here on the occasion of Sanskrit Day being celebrated by Haryana Sanskrit Academy at Academy Bhawan located in Sector 14 of Panchkula. On this occasion, he started the program of the Sanskrit Academy by lighting a lamp. He said that Sanskrit was the language of the sages of the country. He also expressed his views on yoga on this occasion. He said that Sanskrit is the mother of all languages. He also praised the work being done by the Sanskrit Academy on this occasion. Mentioned in detail the works being done for the propagation and expansion of Sanskrit. He said that such a program should be done at the block level instead of the district headquarters. He clarified that soon the academy will conduct a similar program in Kalka also. On this occasion, Professor Ved Prakash Upadhyay of Panjab University presided over the function. He said that even today there are more people who read Sanskrit. On this occasion, a large number of Sanskrit language experts also expressed their views.)
- ↑ "प्रो. वेदप्रकाश उपाध्याय जी का व्याख्यान ("Lecture by Prof. Ved Prakash Upadhyay")"۔ Youtube (بزبان انگریزی)۔ اخذ شدہ بتاریخ 07 اگست 2023
- ↑ Kamlesh Bhatt (24 April 2021)۔ "डा वेद प्रकाश उपाध्याय और डा जगदीश प्रसाद सेमवाल को संस्कृत साहित्य अलंकार सम्मान - Ved Prakash Upadhyay and Jagdish Prasad Semwal award for Sanskrit literature (Dr. Ved Prakash Upadhyay and Dr. Jagdish Prasad Semwal were honored with Sanskrit Sahitya Alankar Samman)"۔ Dainik Jagran۔ اخذ شدہ بتاریخ 21 جولائی 2023۔
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा संस्कृत अकादमी ने वर्ष 2017 तथा वर्ष 2018 के लिए संस्कृत के साहित्यकारों के लिए पुरस्कारों की घोषणा की है। वर्ष 2017 के लिए डा. वेद प्रकाश उपाध्याय, चंडीगढ़ तथा वर्ष 2018 के लिए डा. जगदीश प्रसाद सेमवाल, जीरकपुर (पंजाब) को संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान के लिए चुना गया है। (Haryana Sanskrit Academy has announced the awards for the year 2017 and 2018. Dr. Ved Prakash Upadhyay Chandigarh for the year 2017 and Dr. Jagdish Prasad Semwal Zirakpur (Punjab) for the year 2018 have been selected for Sanskrit Sahityalankar Samman.)
- ↑ "Sahitya Ratna Awards announced"۔ The Tribune (Chandigarh)۔ 4 December 2020۔ 21 جولائی 2023 میں اصل سے آرکائیو شدہ۔ اخذ شدہ بتاریخ 21 جولائی 2023۔
The Punjab Language Department has announced Sahitya Ratna and Shiromani Awards for 18 different categories of literature and art. The awards were finalised in a meeting of the State Advisory Board chaired by Higher Education and Languages Minister Tript Rajinder Singh Bajwa here today.
After the selection, he congratulated all award winners. He also expressed hope that they would continue to play a constructive role in building a better society.... Shiromani Sanskrit Sahitkar for Rama Kant Angrish for 2015, Ved Prakash Upadhyay for 2016, Damodar Jha for 2017, Kanhiya Lal Parashar for 2018, Virender Alankar for 2019 and Dr Sharan Kaur for 2020. - ↑ "Presidential Awards Scheme"۔ Central Sanskrit University۔ اخذ شدہ بتاریخ 21 جولائی 2023۔
List of Recipients of President's Certificate of Honour - 2018
SANSKRIT
1. Dr. SamudralaVenkataRangaRamanujacharyulu
z. Dr. RaghuvirVedalankar
3. Prof. Jayprakash Narayan Dwivedi
4. Dr. Vasantkumar M. Bhatt
5. Dr. BaldevanandSagar
6. Dr. Virendra Kumar Mishra
7. Shri VinayakaUdupa
8. Dr. Gangadharan Nair G.
9. Prof. (Dr.) Ved Prakash Upadhyaya
10. Dr. Shiv SagarTripathy
11. Dr. VangipuramNavanitam Vedanta Desikan
12. Prof. Krishnakanta Sharma
13. Dr. NarendraNath Pandey
14. Prof. (Dr.) Mahavir Agrawal
15. Shri MrinalKantiBandyopadhyay - ↑ M. Zeyaul Haque۔ "A Hindu view of Islam"۔ The Milli Gazette۔ اخذ شدہ بتاریخ 21 جولائی 2023۔
India is not a nation of Qur’an-burners and mosque destroyers only. There are people like Dr. Ved Prakash Upadhyay too, who with their scholarship and erudition have upheld the truth and dignity of Islam and its prophet (pbuh). Dr. Ved Prakash Upadhyay is a man of formidable learning. A look at his degrees should convince you that here is an extraordinary scholar. His degrees: MA (Sanskrit, Vedas) D.Phil (Religion) BIS and IS. He also holds a diploma in German language. One has no option but to listen carefully to what he has to say. So, listen what he says on Prophet Muhammad (pbuh).
Dr. Upadhyay in his Narashans Aur Antim Rishi asserts that the holy prophet was none else than the Narashans rishi of the Vedas. The word Narashans itself means one who is praised, the exact Sanskrit equivalent of Muhammad. Dr. Upadhyay, after considerable research, came to the conclusion that the rishi described as Narashans, "who would have twelve wives," is none other than the Holy Prophet. The vedas, which predate the prophet (pbuh) by several centuries, predict his birth, writes Dr. Upadhyay.
What is more remarkable is that Narashans rishi repeatedly figures throughout the vedas -- from the Rig Veda to Yajur Veda to Sam Veda and Atharva Veda. The more deeply one goes into the details, the more confirmed one is about the identity of the "Praised One". Dr. Upadhyay says that for him there is no option left as a scholar than to proclaim this fact, even though some people would not be happy to hear it. - ↑ Pratibhā Tripāṭhī (1993)۔ Aparādha evaṃ daṇḍa: smr̥tiyoṃ evam dharmasūtroṃ ke pariprekshya meṃ (بزبان ہندی)۔ Rākā Prakāśana۔ اخذ شدہ بتاریخ 30 جولائی 2023۔
२६. हिन्दू विधि एवं स्रोत डॉ० वेद प्रकाश उपाध्याय, इण्टर नेशनल लॉ एजेन्सी, इलाहाबाद, १६८६ ( 26. Hindu law and sources Dr. Ved Prakash Upadhyay, International Law Agency, Allahabad, 1686)
- ↑ Dr Brijendra Agnihotri (21 December 2021)۔ Hindi Sahitya Ka Nikash (بزبان ہندی)۔ Book Rivers۔ صفحہ: 422۔ ISBN 978-93-5515-098-1۔ اخذ شدہ بتاریخ 30 جولائی 2023۔
संदर्भ ग्रंथ:
1. उपाध्याय, वेदप्रकाश, हिंदी साहित्य का इतिहास काव्यशास्त्र एवं लिपि, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी, 2014 ई.
2. कपूर, श्यामचंद्र, हिंदी साहित्य का सुबोध इतिहास, आशा प्रकाशन, नई दिल्ली, 2003 ई.
3. कुमार, एम. (सं.), हिंदी विश्वकोश, अर्जुन पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, 2012 ई. ... (Reference Text:1. Upadhyay, Ved Prakash, History of Hindi Literature, Poetry and Script, University Publication, Varanasi, 2014 AD.
2. Kapoor, Shyamchandra, An Intelligible History of Hindi Literature, Asha Publications, New Delhi, 2003 AD.
3. Kumar, M. (Ed.), Hindi Encyclopedia, Arjun Publishing House, New Delhi, 2012 AD. ...) - ↑ Sutinder Singh، Surinder Chawla، Meena Rani (1986)۔ Bibiliography Of Doctoral Dissertation 1982-83 (SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES)۔ New Delhi: ASSOCIATION OF INDIAN UNIVERSITIES NEW DELHI۔ صفحہ: 212۔ اخذ شدہ بتاریخ 31 جولائی 2023۔
Sharma, Om Prakash. Savita in Vedic literature. Panjab, 1977-83. Dr. Ved Prakash Upadhyay, Lecturer. Department of Sanskrit, Panjab University, Chandigarh.